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ज़िंदगी की कहानी





जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया,

सोचा नहीं जो हुआ उसे होने दिया;

थम जाएं ऐसों से ख़ुद न मिलने दिया,

जो जैसा था वैसा ही रहने दिया।


ज़िंदगी थम सी गई है,

राहें खो सी गई हैं,

सपने देखते देखते

आँखें मूँद सी गई हैं।


कुछ छूट गया है,

कुछ छोड़ दिया है,

रिश्ते हो या बातें कोई,

सब हाथ से छूटा है,

थोड़ा समय अब हाथ से निकला है।


ज़िंदगी में खुशी की,

रिश्तों में प्यार की कमी है,

वक्त जो बीता उसमे खुशी,

और हाथों से रेत सी छूटी है

बस मन के बोझ तले,

ज़िंदगी बीत रही है।

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